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समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
पारुल चंद्रा
@parulchandraa
पूजा करने के लिए हमें रहेगा 50 की उम्र का इंतजार !
मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की लड़ाई पर एक एक्टिविस्ट राहुल ईश्वर ने तृप्ति देसाई को चेलेंज किया है कि वो उन्हें अपनी ब्रिगेड के साथ सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने नहीं दिया जाएगा. और उन्हें रोकने वाली खुद 500 महिलाएं ही होंगी.
समाज
| 3-मिनट में पढ़ें
स्वाति अर्जुन
@swati.arjun
तृप्ति देसाई को इतिहास क्या राजा राम मोहन रॉय वाला दर्जा देगा?
तृप्ति देसाई ने कुछ पूजा स्थलों में महिलाओं को रोके जाने की व्यवस्था को ताकतवर चुनौती दी है. उनके विरोधी इसमें तृप्ति का राजनीतिक एजेंडा ढूंढते हैं, क्या इतिहास में यह सब इसी नजरिए से दर्ज होगा.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
सिद्धार्थ झा
@sidharath.jha
भेदभाव के खिलाफ चुप्पी तोड़ती महिलाएं
शनि शिंगणापुर मंदिर में मिली पूजा की इजाजत अन्य धार्मिक स्थलों को भी महिलाओं के लिए खोलने की बहस का रास्ता तो खोलता ही है, अभी भी देश में कई ऐसे मंदिर है जहां महिलाओं के प्रवेश की इजाजत नही है. महिलाएं अपनी चुप्पी वहां भी तोड़ेंगी!
सोशल मीडिया
| 4-मिनट में पढ़ें
आईचौक
@iChowk
शनि मंदिर में महिलाओं का प्रवेश, और तिलमिला गई पुरुष सत्ता
शनि शिंगणापुर मंदिर की 400 साल पुरानी परंपरा टूटी और महिलाओं को प्रवेश मिला. लेकिन इस आंदोलन को सफल बनाने वाली तृप्ति देसाई तारीफ की हकदार हैं या गालियों की, समाज को खुद विचार करना चाहिए
समाज
|
खानाखराब
| 5-मिनट में पढ़ें
कमलेश सिंह
@kamksingh
महिलाओं के लिए क्यों फिजूल है शनि मंदिर में प्रवेश की लड़ाई
अगर महिलाएं सच में समानता और मुक्ति की चाह रखती हैं, तो उन्हें धार्मिक तानाशाही के खिलाफ खड़े होना होगा, पूजा के अधिकार की यह लड़ाई नकली लड़ाई है. धार्मिक अधिकार की यह मांग सिर्फ इस बात की पुष्टि करता है कि धर्म महत्वूपर्ण है.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
पारुल चंद्रा
@parulchandraa
अब क्रांति मुस्लिम महिलाओं के मस्जिद में प्रवेश की
शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर शुरू हुआ आंदोलन अपने चरम पर है, तो दूसरी ओर बहस शुरू हो गई है मुस्लिम महिलाओं को मस्जिद में प्रवेश दिलाने और उनसे नमाज का नेतृत्व कराने की
समाज
| 3-मिनट में पढ़ें
पारुल चंद्रा
@parulchandraa
संकल्प मात्र से टूट गई थी ये परंपरा
सम्मान का नाटक सदियों से देखती आ रही महिलाएं, इसे अब और देखने के मूड में नहीं हैं. तभी कह रही हैं कि अगर उन्हें मंदिर में प्रवेश नहीं दोगे तो भी शनि देव पर तो वो तेल चढ़ाकर ही रहेंगी, सामने से नहीं तो हैलीकॉप्टर से ही सही.
संस्कृति
| 2-मिनट में पढ़ें
पारुल चंद्रा
@parulchandraa
...और टूट गई 400 साल पुरानी ये परंपरा
ऐतिहासिक फैसले लेना आसान नहीं होता, लेकिन समाजिक विकास और स्वर्णिम भविष्य की कल्पनाओं को साकार रूप देने के लिए अगर कुछ नियमों में बदलाव किए जाएं तो ये घाटे का सौदा नहीं है.
समाज
| 3-मिनट में पढ़ें
पारुल चंद्रा
@parulchandraa
यही है न्याय के देवता का न्याय...
महिलाओं का मासिक धर्म उन्हें अशुद्ध करार देता है. लेकिन इसके साथ हर स्त्री जन्म लेती है. इसी धर्म की वजह से वो सृजन करती है ऐसे महापुरुषों का जिनकी मूर्तियां मंदिरों में सजाकर उनकी पूजा की जाती है.